Thursday 3 November 2016

सुखी और बलगम खांसी का इलाज

सुखी और बलगम खांसी का इलाज
















कारण - ठण्ड लगना, धूल-धुएं भरे वातावरण में रहना, शरीर को ताजा हवा या धूप मिल पाना, ठंडे-गर्म पदार्थ एक साथ खाना, पौष्टिक पदार्थों का अभाव, अधिक परिश्रम, अधिक भोग आदि

लक्षण- बार-बार खाँसी उठती है रोगी परेशान हो जाता है खाँसी दो प्रकार की होती है -

पहली - कफ खाँसी, जिसमें खाँसी के साथ कफ रहता है।

दूसरी - सुखी खाँसी जिसमें खाँसी के साथ कफ नहीं रहता है।

खाँसी का होम्योपैथिक उपचार

स्टिक्टा पल्मोनेरिया 30 -2 बून्द, हायोसायमस 6 -2 बून्द, रुमेक्स 30 - 2 बूंद, शुगर ऑफ मिल्क - 20 ग्रेन - इन्हें मिला लें यह चार मात्रायें हैं प्रतिदिन चार मात्रा देनी चाहिये आवश्यकता होने पर : मात्रायें तक दे सकते हैं। इस मिश्रण से सूखी खाँसी, टी.बी. की खाँसी, थकान के कारण खाँसी, अनिद्रा के कारण खाँसी आदि लक्षणों में लाभप्रद है

इपिकाक 30-10 बूंद, सेनेगा 30-10 बूंद, जस्टीशिया अधाटोडा 3x-10 बूंद, एक्वा-दो औंस - सभी को मिला लें यह चार मात्रायें हैं इस प्रकार प्रतिदिन चार मात्रायें देने से प्रत्येक प्रकार की खाँसी, विशेष रूप से सूखी और कफ खाँसी में आराम होता है

ब्रायोनिया 3x -1 बूंद, ड्रोसेरा 6 -1 बूँद, यूकेलिप्टस 3x -1 बूँद, इपिकाक 30 -2 बूंद, एण्टिम सल्फ 3x -10 ग्रेन, शुगर ऑफ मिल्क -30 ग्रेन - इन्हें मिला लें यह चार मात्रायें हैं इस प्रकार प्रतिदिन चार मात्रायें देने से लाभ होता हैं

एकोनाइट 30 -5 बूंद, इपिकाक 30-5 बूंद, स्पांजिया टोस्टा 30 - 5 बूंद, हिप्पर सल्फर 30 -5 बूंद, एक्वा-दो औंस - इन्हें मिला लें यह दो मात्रायें हैं इस प्रकार प्रतिदिन चार मात्रायें देने से खाँसी, ठण्ड लगना, बुखार आदि में आराम होता है

जस्टीशिया अधाटोडा Q-5 बूंद, ओसिमम सैंक्टम Q-5 बूंद, इपिकाक Q -3 बूंद, एक्वा-एक औंस - इन्हें मिला लें यह एक मात्रा है। इस प्रकार की प्रतिदिन तीन मात्रायें देने से प्राय: सभी प्रकार की खाँसी में विशेष लाभ होता हैं

यर्बा सैन्टा Q-5 बुंद, जस्टीशिया अधाटोडा Q-5 बुंद, इपिकाक Q-3 बूंद, मकरध्वज Q-3 बूंद, मैन्थापिप Q-2 बूंद, ब्रायोनिया Q-1 बूंद, एक्वा-एक औंस - इन सभी को मिला लें यह एक मात्रा है | इस प्रकार प्रतिदिन तीन मात्रा देने से सभी प्रकार की खाँसी विशेषकर सूखी और कफज खाँसी में आराम होता है


पथ्य - शुद्ध हवा में घूमना चाहिये। पौष्टिक पदार्थ खाने चाहिये परन्तु तैलीय पदार्थ खायें मिश्री चूसना लाभप्रद है

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