● एडोनिस वर्नेलिस Q-2 बूंद, क्रैटेगस ऑक्स Q-5 बूंद, कॉनवेलेरिया Q-5 बूंद, एक्वा-एक औंस-इन्हें मिला लें । यह एक मात्रा है ! इस प्रकार प्रतिदिन तीन मात्रा देने से हृदय-शोथ, हृदय की झिल्ली में सूजन, हृदय की क्रिया में गड़बड़ी, हृदय की दुर्बलता, नाड़ी की दुर्बलता, हृदय-शूल, हृदय फड़कना आदि में लाभ होता है ।
● कार्बोवेज 30-1 बूंद, कैटेगस ऑक्स Q-15 बूंद, वेरेट्रम एल्बम 30-1 बूंद, काली फॉस 30x-5 ग्रेन, एक्वा-एक औंस-इन सबको मिला लें । यह एक मात्रा है। जब रोगी का शरीर ठंडा पड़ने लगे, हार्ट-फेल होने की संभावना हो, नाड़ी कमजोर हो जाये तो यह मिश्रण रोगानुसार बार-बार देना चाहिये ।
● कैक्टस ग्रैण्डो 2x, स्ट्रोफैन्थस 4x, कैटेगस ऑक्सी 2x, कैम्फर 2x, वेलेरियाना Q, ऑरम म्यूर Q, नैट्रम सल्फ 4x-सभी को एक-एक ड्राम की मात्रा में लेकर आपस में मिला लें और एक शीशी में भरकर रख लें। इसमें से 15-15 बूंदें, आधा कप ताजा पानी में डालकर प्रतिदिन तीन बार लें । इससे-हृदय-पेशी का प्रदाह, आक्रामिक असंतुलन, धमनी के रोगियों की अनिद्रा, हृदय-गति मन्द पड़ना, नाड़ी और साँस अनियमित, स्नायुओं का शिथिल होना, हृदय का फैल जाना में लाभ होता है। धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों की हृदय सम्बन्धी समस्त बीमारियों में यह औषधि रामबाण है | कैफीन, तम्बाकू, शराब के सेवन के कारण अगर हृदय-रोग हो तो इस दवा के सेवन से संभावित खतरों से रक्षा होती है |
● अर्जुना Q, क्रेट्रेगस Q, ऐपोसाइनम कैनाबिन्म Q, पेसीफ्लोरा Q, स्पाइजिलिया Q, एकोनाइट Q, एडोनिस वी Q, कोका Q, कॉनेवेलेरिया मैंजेलिस Q, फेसियोलस Q-इन सभी को एक-एक ड्राम की मात्रा में लेकर मिलाकर रख लें । फिर इसमें से 15-15 बूंदें ताजा पानी में मिलाकर प्रतिदिन तीन बार दें। इससे-हृदय की समस्त प्रकार की कमजोरी दूर होती हैं । दिल का अव्यवस्थित रूप से धड़कना, नींद न आना, हृदय की कमजोरी आदि में लाभप्रद है । यह सभी प्रकार के हृदय-रोग का जनरल टॉनिक है ।
● अर्जुना Q, क्रैटेगस Q, कैक्टस जी Q, स्ट्रोफैन्थस Q, डिजीटेलिस Q - इन सभी को एक-एक ड्राम की मात्रा में लेकर, मिलाकर, शीशी में भरकर रख लें । इसमें से 10-10 बूंदें पानी में मिलाकर प्रतिदिन तीन बार देनी चाहिये। इससे-उच्च रक्तचाप, स्नायुमंडल की पुरानी बीमारी के कारण एन्जीनॉयड की शिकायतें, बेहोशी, निकोटिन के दुष्प्रभाव आदि में लाभ होता है । हृदय को बल प्रदान करता है | ऑपरेशन के पहले तथा बाद में और संक्रामक रोगों में हृदय के लिये उत्तम टॉनिक है ।
● इग्नेशिया ऐमेरा 3x-1 बूंद, वेरेट्रम एल्बम 6-1 बूंद, कॉनवैलेरिया Q-5 बूंद, कैटेगस ऑक्स Q-10 बूंद, ऑरम म्यूर 3x-3 ग्रेन, एक्वा-एक औस-इन्हें मिला लें। यह एक मात्रा है। इस प्रकार प्रतिदिन तीन बार देने से हृदय की माँसपेशियों की कमजोरी, हृदय की धड़कन तेज होना, बेहोशी के दौरे, छाती पर बोझ मालूम होना, श्वास लेने में कष्ट, वृद्धावस्था में धमनियाँ सख्त हो जाना आदि में आराम होता है। हृदय के फैलाव में भी उपयोगी है।
● क्रेटेगस 3x, कैक्टस जी 4x, काली फॉस 4x, वेलेरियाना 3x, ऑरम म्यूर 3x - इन सभी को सम मात्रा में लेकर मिला लें । फिर इसमें से 5-5 ग्रेन प्रतिदिन तीन बार लें । इससे-कलेजा धड़कना, कलेजा कांपना, हृदय का दर्द, कमजोरी, हृदय-शूल होना आदि में लाभ होता है | तीव्र अवस्था में प्रत्येक एक-एक घण्टे के अन्तर से भी दवा दी जा सकती हैं ।
● क्रेटेगस ऑक्सायकैन्था 1x, कैक्टस जी 1x, स्ट्रोफैन्थस 1x, एडोनिस 1x, कॉनवेलेरिया 1x - इन सभी को समान मात्रा में लेकर मिला लें । इसमें से 5-5 बूंद, प्रतिदिन चार बार एक कटोरी पानी में मिलाकर दें । इससे हृदय में रह-रहकर उठने वाला दर्द जो बाएं कंधे तक जाता हो, अत्यधिक नाड़ी तेज चलना, रक्तचाप कम होना, सीने पर भारीपन रहना, हाथ-पैर ठण्डे होना आदि लक्षणों में लाभ होता हैं ।
● ग्लोनाइन 30, विस्कम एल्ब 30, रोवोल्फिया सपॅन्टिना 30, वैराइटा म्यूर 30 - इन सभी को सम मात्रा में लेकर, मिलाकर रख लें । इसमें से 10-10 बूंदें पानी में मिलाकर प्रतिदिन तीन बार देनी चाहिये। इससे-उच्च रक्तचाप, सिर-दर्द, सिर व हृदय में रक्त का बहाव बढ़ना, चक्कर आना, आँखों के आगे अंधेरा छाना, चेहरा तमतमाना आदि में अत्यधिक लाभ होता है ।
● आर्सेनिक एल्ब 8x, बेलाडोना 3x, इरियोडिक्टियन जी 12x, नैट्रम सल्फ 30x, वेरेट्रम एल्ब 30 - सभी को सममात्रा में लेकर मिलाकर रख लें। इसमें से 10-10 बूंदें प्रतिदिन तीन बार पानी में मिलाकर दें । तीव्रावस्था में एक गिलास पानी में 20 बूंदें मिलाकर इसमें से प्रत्येक 10-10 मिनट पर एक-एक चम्मच दें । इससे दमा, ब्रोंकाइटिस, श्वास-कष्ट, खाँसी (जिसमें साँय-साँय की आवाज हो) आदि में लाभ होता है । सैंक्टम, पेसिफ्लोरा, एवेना सैटाइवा-सभी दवायें Q (मूल अर्क) में बराबर मात्रा में लेकर मिलाकर रख लें। इसमें से 10-10 बूंदें गुनगुने पानी में मिलाकर प्रतिदिन तीन बार दें। रोग की तीव्रावस्था में जल्दी-जल्दी भी दे सकते हैं। इससे-दमा, इस्नोफीलिया, ब्रोंकाइटिस, खाँसी, साँस फूलना, साँस लेने में परेशानी आदि में लाभ होता है |
● ब्रायोनिया 200, ड्रोसेरा 200, इपिकाक 200, जस्टीशिया 200, स्ट्रामोनियम 200 - इन सभी को आधा-आधा ड्रम की मात्रा में लेकर, मिलाकर रखें । इसमें से दस बूंदें ताजा पानी में मिलाकर प्रतिदिन केवल एक बार देनी चाहिये। वैसे मात्रा का निर्धारण रोगी की स्थिति के आधार पर स्वयं करना चाहिये। इससे-श्वसन-तंत्र की सर्दीजनित अवस्था और सूखी खाँसी में लाभ होता है । श्वसन-तंत्र की घुटन ठीक हो जाती हैं। कफ को दूर करके साँस लेने में आसानी होती है। बंद और भारी आवाज ठीक हों जाती है । फेफड़ों का खिचाव ठीक हो जाता है |