Friday 4 November 2016

दमा का इलाज

दमा का इलाज




कारण - धूल-धुएँ भरे वातावरण में रहना, शुद्ध वायु मिल पाना, पौष्टिक पदार्थों का अभाव, अधिक परिश्रम, अधिक भोग, पुरानी खाँसी आदि

लक्षण - दमा यानी दम (सांस) फूलना  इस रोग में रोगी की साँस जरा-सा परिश्रम करते ही यानी चलने से, लेटने से, बोलने से फूलने लगती है और उसे साँस लेने में कठिनाई महसूस होती है। इसमें खाँसी प्राय: नहीं होती परन्तु कुछ व्यक्तियों में हो भी सकती है

दमा का होम्योपैथिक उपचार

आर्सेनिक एल्ब 6 - एक बूंद, इपिकाक 30 - दो बूंद, सेनेगा Q -चार बूंद, ब्लाटा ओरियेण्टेलिस Q - दस बूंद, एक्वा -दो औंस - इन्हें मिला लें यह दो मात्रायें हैं प्रतिदिन चार मात्रा देने से दमा की प्रारम्भिक अवस्था में आराम होता है

इपिकाक - एक बूंद, एस्पिडोस्पर्मा Q - एक बूंद, ब्लाटा ओरियेण्टेलिस 3x - एक बूंद, शुगर ऑफ मिल्क - 5 ग्रेन-इन्हें मिला लें यह एक मात्रा है। इस प्रकार प्रतिदिन पाँच मात्रायें देने से सभी प्रकार के दमा में निश्चित ही आराम होता है

व्लाटा ओरियेण्टेलिस 1x - 2 ग्रेन, इफेड़ोन 1x -1 ग्रेन, इड्रेनेलीन 2x -1 ग्रेन, मकरध्वज 6x - 2 ग्रेन-इन्हें मिला लें यह एक मात्रा है इस प्रकार प्रतिदिन 4-5 मात्रायें देने से प्राय: सभी प्रकार के दमा में लाभ होता है

एकोनाइट 1x - 5 बूंद, यवां सैन्टा Q - 30 बूंद, लोबिलिया Q -20 बूंद, व्लाटा ओरियेण्टेलिस Q - 20 बूंद, कैनाबिस इण्डिका Q - 5 बूंद, स्ट्रमोनियम 30 -5 बूंद, एक्वा - 3 औंस - इन्हें मिला लें यह कुल : मात्रायें हैं। प्रतिदिन : मात्रायें देने से दमा का खिंचाव घटकर बहुत आराम मिलता है

यर्बा सैन्टा Q - 5 बूंद, बेलाडोना Q - 2 बूंद, एरालिया Q - 3 बूंद, लोविलिया Q - 5 बूंद, क्लोरोफोर्म Q - 5 बूंद, स्ट्रामोनियम 3x - 1 बूंद, एक्वा - 1 औंस -इनको मिला लें यह एक मात्रा है। इस प्रकार प्रतिदिन तीन मात्रायें देने से हर प्रकार के दमा में लाभ होता है। इससे दमा का दौरा शीघ्र शान्त होता है

एफिड़ा बल्गेरिस Q - 5 बूंद, ग्रिण्डेलिया रोबस्टा Q - 5 बूंद, लोविलिया इनफ्लेटा Q - 2 बूंद, एकोनाइट Q -1 बूंद, क्लोरोफार्म Q - 5 बूंद, एक्वा1 औंस -इन्हें मिला लें यह एक मात्रा है इस प्रकार प्रतिदिन चार मात्रा देने से लाभ होता है |

पथ्य- ताजा एवं पौष्टिक भोजन लेना चाहिये। ताजे फल एवं हरी सब्जियाँ पर्याप्त मात्रा में खानी चाहिये चोकरयुक्त आटा प्रयोग करना चाहिये। पीने का पानी स्वच्छ होना चाहिये शुद्ध वायु में घूमना भी लाभप्रद है। अधिक श्रम तथा भोग से बचना चाहिये। गुड़, तेल, सफेद चीनी, मैदा, मछली, अंडा आदि का प्रयोग करें रोग का उपचार गंभीरतापूर्वक कराना चाहिये।


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