कारण - अत्यधिक मानसिक श्रम, शरीर से रस-रक्त अधिक निकल जाना, पौष्टिक भोजन का आभाव, सफाई का अभाव, शोर-शराबे में रहना आदि कारणों से यह रोग हो जाता है ।
लक्षण - इस रोग में आधे सिर में-चाहे वह दाँयी ओर हो या बाँयी ओर दर्द होता है । बेचैनी, वमन, रोशनी-आवाज से चिढ़, मानसिक परेशानी आदि लक्षण प्रकट होते हैं ।
उपचार
• स्पाईजीलिया
200-1 बूंद, नैट्रम म्यूर
200-1 बूंद, सैंगुनेरिया
200-1 बूंद- इन सभी को 15 ग्रेन शुगर ऑफ मिल्क में मिला दें । यह तीन मात्रायें हैं । प्रत्येक आधा-आधा घण्टे के अन्तर से तीनों मात्रायें दे दें। ध्यान रखने की बात यह है कि यह मात्रायें दर्द तीव्र होने की स्थिति में न दें बल्कि जब दर्द कम या बन्द हो जाये, तब दें । आवश्यकता महसूस होने पर तीन दिन बाद पुनः दे सकते हैं। इस प्रकार देने से आधासीसी का दर्द में लाभ होता है।
• काली ब्रोमाइड Q-3
बूंद, कैफीनम हाइट्रेट Q-5
बूंद, एन्टीफैबरीन Q-5
बूंद, क्लोरोफार्म-4 बूंद, फैनस्टीन Q-5
बूंद, एक्वा-1 औंस - इन सभी को मिला लें । यह एक मात्रा है । रोग का दौरा प्रारम्भ होते ही ऐसी केवल एक मात्रा दें ।
पथ्य- रोगी की सर्दी-गर्मी, शोर-शराबे, धूल-धुंये भरे वातावरण से बचाना चाहिये । रोगी को पौष्टिक पदार्थ देने चाहिये और आराम कराना चाहिये।
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